क्या जुर्म हमने कीया हमें पता ही नही
क्यूँ हो तुम रुसवा कभी हम समजे ही नही
जिंदगी का हर हिस्सा तुमहारे नाम कर दिया
हम ने हमारे लिए कुछ रखा ही नही
चाही खुशी भी तो हमेशा तेरी खुशी
गम तेरे मेरे हो उसके सीवा कुछ माँगा ही नही
उल्ज़न तेरी सुल्जाने के बड़े अरमान रखे हम ने
सुल्जा सकू इतना पास तुने कभी आने दीया ही नही
जानता हु खुशी ही देना चाहती हो गम के सीवा तुम
दीलबर के गम पाने में खुशी हे तुने ये जन ही नही
क्यूँ हो तुम रुसवा कभी हम समजे ही नही
जिंदगी का हर हिस्सा तुमहारे नाम कर दिया
हम ने हमारे लिए कुछ रखा ही नही
चाही खुशी भी तो हमेशा तेरी खुशी
गम तेरे मेरे हो उसके सीवा कुछ माँगा ही नही
उल्ज़न तेरी सुल्जाने के बड़े अरमान रखे हम ने
सुल्जा सकू इतना पास तुने कभी आने दीया ही नही
जानता हु खुशी ही देना चाहती हो गम के सीवा तुम
दीलबर के गम पाने में खुशी हे तुने ये जन ही नही
4 comments:
tune ye jana nahi...
very wel written...ileshji...
बहुत ही सुन्दर कविता!
बस आप typo सुधार लें! अधिक सुविधा के लिए यह लिन्क चेक करें!
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शुभकामनाएं पूरे देश और दुनिया को
उनको भी इनको भी आपको भी दोस्तों
स्वतन्त्रता दिवस मुबारक हो
sunder bhavatmak kavita
pad kar achha laga
zindgi ka har hissa tere nam kar diya
hum ne humare liye kuchh rakha hi nahi
ilseh ji bahut gajab ka likha hai dil ko choo gai hai poetry
dhanyavad aur likhte rahiye
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