Monday, September 8, 2008

~*~Aabaad rahe tu~*~


Plz CLick on Image to read it properly....

7 comments:

* મારી રચના * said...
This comment has been removed by the author.
अभिन्न said...

dil phir bhi chahe khush hali teri ......
aabad rahe hamesha zindgani teri.......
I lesh ji bahut dinon ke baad likha lekin kitna achchha likha aap nahi jante.....a lot of appreciations ..keep it up

वर्षा said...

कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता। कुछ ऐसा ही मान लें

रश्मि प्रभा... said...

zindagi ..... shaayad yun hi chalti hai aur kalam ki syaahi me dard mil jata hai,
kahun kya,bas aabaad rahe aap

admin said...

सॉरी, आपकी कविता पूरी तरह से पढने में नहीं आ रही है। कृपया इसे पठनीय बनाएं और कमेंट बॉक्स से वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें। इससे पाठकों का सुविधा होगी।

राज भाटिय़ा said...

आज ही हम ने आप की कविता पढी , रोमन मे होने की वजह से थोडी मुस्किल हुयी, लेकिन भाव बहुत ही सुन्दर है, एक अति सुन्दर कविता.....
दिल फ़िर भी उसे खुश देखना चाहाता है, जिस ने दुख ही दिये..... क्या यही प्यार है????
धन्यवाद

Amit Kumar Yadav said...

Sundar Abhivyakti...Badhai !!
-------------------------------------------
''युवा'' ब्लॉग युवाओं से जुड़े मुद्दों पर अभिव्यक्तियों को सार्थक रूप देने के लिए है. यह ब्लॉग सभी के लिए खुला है. यदि आप भी इस ब्लॉग पर अपनी युवा-अभिव्यक्तियों को प्रकाशित करना चाहते हैं, तो amitky86@rediffmail.com पर ई-मेल कर सकते हैं. आपकी अभिव्यक्तियाँ कविता, कहानी, लेख, लघुकथा, वैचारिकी, चित्र इत्यादि किसी भी रूप में हो सकती हैं.