Wednesday, April 1, 2009

~*~दिल एक खिलोना~*~


~*~दिल एक खिलोना~*~

एक मासूम सा दिल आज पत्थर हो गया
था कभी वो अपना आज जखम दे गया


भरी महफ़िल मैं रुसवा हमें किया गया
सुहानी ज़िंदगी मैं रंज-ओ-गम भर गया


लाखो मे एक ऐसा फूल चुना था
वही कांटो से गहरी चुभन दे गया



अपना बना के भूल जाना खेल हो गया
रिश्ते बनाके निभाना उन्हे ना आया


डाली से फूल को जुदा करना हमें ना आया
जाने दिलों को तोड़ने का हुनर उन्हे कैसे आया


इलेश 1-4-2009