Wednesday, August 13, 2008

~*~Tune Ye Jana Hi Nahi

क्या जुर्म हमने कीया हमें पता ही नही
क्यूँ हो तुम रुसवा कभी हम समजे ही नही

जिंदगी का हर हिस्सा तुमहारे नाम कर दिया
हम ने हमारे लिए कुछ रखा ही नही

चाही खुशी भी तो हमेशा तेरी खुशी
गम तेरे मेरे हो उसके सीवा कुछ माँगा ही नही

उल्ज़न तेरी सुल्जाने के बड़े अरमान रखे हम ने
सुल्जा सकू इतना पास तुने कभी आने दीया ही नही

जानता हु खुशी ही देना चाहती हो गम के सीवा तुम
दीलबर के गम पाने में खुशी हे तुने ये जन ही नही

4 comments:

* મારી રચના * said...

tune ye jana nahi...

very wel written...ileshji...

Vinay said...

बहुत ही सुन्दर कविता!

बस आप typo सुधार लें! अधिक सुविधा के लिए यह लिन्क चेक करें!
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योगेन्द्र मौदगिल said...

शुभकामनाएं पूरे देश और दुनिया को
उनको भी इनको भी आपको भी दोस्तों

स्वतन्त्रता दिवस मुबारक हो

sunder bhavatmak kavita
pad kar achha laga

अभिन्न said...

zindgi ka har hissa tere nam kar diya
hum ne humare liye kuchh rakha hi nahi
ilseh ji bahut gajab ka likha hai dil ko choo gai hai poetry
dhanyavad aur likhte rahiye