Tuesday, August 5, 2008

~*~Teri In Jhil Si Aankho Me~*~


8 comments:

Manvinder said...

tadapati es rooooooooh ko milta hai sakoooooon......
bahut khoooooooooob
bahut sunder

अभिन्न said...

तेरी इन झील सी आँखों में खवाब मेरा मै देखता हूँ
इनकी गहराई में डूबी हुई दीवानगी मेरी मै देखता हूँ
इलेश जी आँखों की गहराईयों पर लिखना इतना आसान नहीं होता अक्सर लोग उन आँखों में डूब कर रह जाते है बहुत सुन्दर ,बहुत रोमांटिक .धन्यवाद

admin said...

Nice poem, nice composition

* મારી રચના * said...

meri tanhai ko milti jeene ki aash ..mai in aankho mai dekhta hu...

kitna khub likha hai ileshji....

Manvinder said...

tumaara blog mujhe achha laga...
ek anokhee si duniya...
apna mail id do...
tume link bejha karungi....

Asha Joglekar said...

इलेश जी बहुत सुंदर रचना है ।

Anonymous said...

Very good......

Anonymous said...

भाई दिल से लिखते हो। हिंदी या हिंदुस्तानी में प्रकाशित करो तो आैर प्रभावशाली लगेगा।
http://irdgird.blogspot.com