Wednesday, February 11, 2009

~*~वो बेटी अब मे कहा से लाउ........... ~*~

मन करता था हमेशा एक बेटी मेरे घर भी होती 
ख्वाब यही था वो आँगन मेरा महकाती होती 
 

चाहत दिल मे उभरती वही ख़तम हो जाती थी 
नाराज़ रब के सामने ना एक भी कारी फाती थी 
 

एक दिन वो अचानक से ख्वाब सी मेरी ज़िंदगी मे आई 
जो देखा था ख्वाब वो सच करने को जैसे आज आई 
 

मासूम सी थी वो सूरत जैसे परिलोक से वो आई 
हसती थी जब वो फूलवारी खिलती जाती थी 
 

मिलना मुश्किल था उस को दूर जो थी वो बसी 
किल्कारी उस की हसी की गम उड़ाए ले जाती थी 
 

खुश था,थी खुश ज़िंदगानी पाके खुशी बेटी की 
महसूस होती थी पास चाहे तस्वीर मे वो बेथी थी 
 

अचानक गुरता हुआ हवा का एक झोंका आया 
तस्वीर बेटी की वो अपने साथ उड़ा ले गया 
 

दिल क्रंदन करने लगा थी वो ज़िंदगी मेरी 
नही थी वो तस्वीर वो तो थी बेटी मेरी 
 

करता हू प्यार बेहद उसे वापस मे कैसे लाउ 
दिल करता हे पुकार वो बेटी अब मे कहा से लाउ 
 

वो बेटी अब मे कहा से लाउ........... 



19 comments:

daanish said...

पावन चाह की
पावन भावनाओं में बह कर
पावन शब्दों में लिखी गयी
एक बहुत ही पावन कविता ....
आपको नमन कहता हूँ . . . . . .
---मुफलिस---

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुंदर लिखा आप ने आज हमारी बीबी किसी सहेली से बात कर रही थी, तो सहेली ने पुछा, क्या तुमे बेटी की कमी नही अखरती??, बीबी कुछ बोलती तो मेने झट से कह दिया, अजी अखरती तो है, लेकिन कुछ सालो बाद हम दो बेटियां जो लाने वाले है, तो उन्होने कहा की हा बहुं तो बहु ही होती है, मेने कहा नही बहु भी बेटी हि होती है.
ओर अब आप की यह कवित पढी तो वो बात साद आ गई.
धन्यवाद

Dev said...

करता हू प्यार बेहद उसे वापस मे कैसे लाउ
दिल करता हे पुकार वो बेटी अब मे कहा से लाउ

वो बेटी अब मे कहा से लाउ...........

Mai aaj office se aa raha tha to ek car me ek choti si beti apne dada ya nana ke balon me kandhi kar rahi thi, usake us bhole apne pan ne mera man jais bandh rakha ho , mai bas usako alapak dekh raha tha , aur aapki kavita padh kar us beti ki yaad aa gayi...

Regards

Dr.Bhawna Kunwar said...

बहुर प्यारी रचना लिखी है आपने बेटियाँ होती ही इतनी प्यारी हैं मेरी तो दो बेटियाँ हैं मैं ही जानती हूँ कि उनको जरा सा कुछ हो जाये तो कैसे मेरी जान पर बनती है मेरे ब्लॉग पर मेरे लिंक में "मरचीज़न फॉल नेशनल यात्रा" के बारे में लिखा है उसमें उनके फोटो भी हैं नहीं पढ़ा तो पढ़ भी सकते हैं और देख भी सकते हैं...
आपकी प्यारी रचना को ढ़ेर सारी बधाईयाँ...

Manvinder said...

bahut sunder likha hai....
mere paas ek beti hai....dusri bhi aa jaegi......
meri pyari bahuye...

महावीर said...

दिल क्रंदन करने लगा थी वो ज़िंदगी मेरी
नही थी वो तस्वीर वो तो थी बेटी मेरी
बहुत ही मार्मिक रचना है। दिल की कसक शब्दों में ढल कर तस्वीर की तरह सामने आगई है।
महावीर शर्मा

Pragya said...

bahut sundat kavita hai... betiyan sach me ghar ki raunak hoti hain...

Alpana Verma said...

एक दिन वो अचानक से ख्वाब सी मेरी ज़िंदगी मे आई
जो देखा था ख्वाब वो सच करने को जैसे आज आई

-बेहद खूबसूरत रचना.

-बेटियाँ सच में बहुत प्यारी होती हैं..

निर्मला कपिला said...

sach me mujhe ye kavita padh kar apni beti ki yaad aa gayee jo sasuraal chali gayee hai bahut he sunder rachna hai

Asha Joglekar said...

बेहद भावपूर्ण रचना। बेटियाँ सचमुच आँगन महकाती हैं और एक दिन वो सारी महक समेट कर चली जाती हैं ।

Science Bloggers Association said...

दिल को छू गयी आपकी रचना, बधाई।

हरकीरत ' हीर' said...

Aapke komal man ki bhavnayen ankit hain is kavita me...accha lga ye jan kar ki aapko betiyon se itana pyar hai....!!

अखिलेश सिंह said...

शानदार अभिव्यक्ति, लोग जहाँ बेटियों को अभिशाप मानते हैं वहीँ आप जैसे लोग भी हैं जो बेटिया चाहते हैं...दिल को छु गई आप की कविता...

दिगम्बर नासवा said...

बेटियाँ होती ही ऐसी हैं...........
मैं किस्मत वाला हूँ इस मामले में

Sumit Pratap Singh said...

सादर ब्लॉगस्ते,
कृपया पधारें व 'एक पत्र फिज़ा चाची के नाम'पर अपनी टिप्पणी के रूप में अपने विचार प्रस्तुत करें।

आपकी प्रतीक्षा में...

रज़िया "राज़" said...

सुंदर कविता, मन को छू गइ। वाह!!!!!!!!!!

हरकीरत ' हीर' said...

इलिश जी,

कोई नयी पोस्ट डालें ...अब और कितना इंतजार करवायेगे.....!?!

Urmi said...

बहुत ही खुबसूरत लिखा है आपने ! आप एक बहुत ही अच्छे कलाकार है !

Anonymous said...

Really nice and poignant poem :)


shilpa