मन करता था हमेशा एक बेटी मेरे घर भी होती
ख्वाब यही था वो आँगन मेरा महकाती होती
चाहत दिल मे उभरती वही ख़तम हो जाती थी
नाराज़ रब के सामने ना एक भी कारी फाती थी
एक दिन वो अचानक से ख्वाब सी मेरी ज़िंदगी मे आई
जो देखा था ख्वाब वो सच करने को जैसे आज आई
मासूम सी थी वो सूरत जैसे परिलोक से वो आई
हसती थी जब वो फूलवारी खिलती जाती थी
मिलना मुश्किल था उस को दूर जो थी वो बसी
किल्कारी उस की हसी की गम उड़ाए ले जाती थी
खुश था,थी खुश ज़िंदगानी पाके खुशी बेटी की
महसूस होती थी पास चाहे तस्वीर मे वो बेथी थी
अचानक गुरता हुआ हवा का एक झोंका आया
तस्वीर बेटी की वो अपने साथ उड़ा ले गया
दिल क्रंदन करने लगा थी वो ज़िंदगी मेरी
नही थी वो तस्वीर वो तो थी बेटी मेरी
करता हू प्यार बेहद उसे वापस मे कैसे लाउ
दिल करता हे पुकार वो बेटी अब मे कहा से लाउ
वो बेटी अब मे कहा से लाउ...........
चाहत दिल मे उभरती वही ख़तम हो जाती थी
नाराज़ रब के सामने ना एक भी कारी फाती थी
एक दिन वो अचानक से ख्वाब सी मेरी ज़िंदगी मे आई
जो देखा था ख्वाब वो सच करने को जैसे आज आई
मासूम सी थी वो सूरत जैसे परिलोक से वो आई
हसती थी जब वो फूलवारी खिलती जाती थी
मिलना मुश्किल था उस को दूर जो थी वो बसी
किल्कारी उस की हसी की गम उड़ाए ले जाती थी
खुश था,थी खुश ज़िंदगानी पाके खुशी बेटी की
महसूस होती थी पास चाहे तस्वीर मे वो बेथी थी
अचानक गुरता हुआ हवा का एक झोंका आया
तस्वीर बेटी की वो अपने साथ उड़ा ले गया
दिल क्रंदन करने लगा थी वो ज़िंदगी मेरी
नही थी वो तस्वीर वो तो थी बेटी मेरी
करता हू प्यार बेहद उसे वापस मे कैसे लाउ
दिल करता हे पुकार वो बेटी अब मे कहा से लाउ
वो बेटी अब मे कहा से लाउ...........
19 comments:
पावन चाह की
पावन भावनाओं में बह कर
पावन शब्दों में लिखी गयी
एक बहुत ही पावन कविता ....
आपको नमन कहता हूँ . . . . . .
---मुफलिस---
बहुत ही सुंदर लिखा आप ने आज हमारी बीबी किसी सहेली से बात कर रही थी, तो सहेली ने पुछा, क्या तुमे बेटी की कमी नही अखरती??, बीबी कुछ बोलती तो मेने झट से कह दिया, अजी अखरती तो है, लेकिन कुछ सालो बाद हम दो बेटियां जो लाने वाले है, तो उन्होने कहा की हा बहुं तो बहु ही होती है, मेने कहा नही बहु भी बेटी हि होती है.
ओर अब आप की यह कवित पढी तो वो बात साद आ गई.
धन्यवाद
करता हू प्यार बेहद उसे वापस मे कैसे लाउ
दिल करता हे पुकार वो बेटी अब मे कहा से लाउ
वो बेटी अब मे कहा से लाउ...........
Mai aaj office se aa raha tha to ek car me ek choti si beti apne dada ya nana ke balon me kandhi kar rahi thi, usake us bhole apne pan ne mera man jais bandh rakha ho , mai bas usako alapak dekh raha tha , aur aapki kavita padh kar us beti ki yaad aa gayi...
Regards
बहुर प्यारी रचना लिखी है आपने बेटियाँ होती ही इतनी प्यारी हैं मेरी तो दो बेटियाँ हैं मैं ही जानती हूँ कि उनको जरा सा कुछ हो जाये तो कैसे मेरी जान पर बनती है मेरे ब्लॉग पर मेरे लिंक में "मरचीज़न फॉल नेशनल यात्रा" के बारे में लिखा है उसमें उनके फोटो भी हैं नहीं पढ़ा तो पढ़ भी सकते हैं और देख भी सकते हैं...
आपकी प्यारी रचना को ढ़ेर सारी बधाईयाँ...
bahut sunder likha hai....
mere paas ek beti hai....dusri bhi aa jaegi......
meri pyari bahuye...
दिल क्रंदन करने लगा थी वो ज़िंदगी मेरी
नही थी वो तस्वीर वो तो थी बेटी मेरी
बहुत ही मार्मिक रचना है। दिल की कसक शब्दों में ढल कर तस्वीर की तरह सामने आगई है।
महावीर शर्मा
bahut sundat kavita hai... betiyan sach me ghar ki raunak hoti hain...
एक दिन वो अचानक से ख्वाब सी मेरी ज़िंदगी मे आई
जो देखा था ख्वाब वो सच करने को जैसे आज आई
-बेहद खूबसूरत रचना.
-बेटियाँ सच में बहुत प्यारी होती हैं..
sach me mujhe ye kavita padh kar apni beti ki yaad aa gayee jo sasuraal chali gayee hai bahut he sunder rachna hai
बेहद भावपूर्ण रचना। बेटियाँ सचमुच आँगन महकाती हैं और एक दिन वो सारी महक समेट कर चली जाती हैं ।
दिल को छू गयी आपकी रचना, बधाई।
Aapke komal man ki bhavnayen ankit hain is kavita me...accha lga ye jan kar ki aapko betiyon se itana pyar hai....!!
शानदार अभिव्यक्ति, लोग जहाँ बेटियों को अभिशाप मानते हैं वहीँ आप जैसे लोग भी हैं जो बेटिया चाहते हैं...दिल को छु गई आप की कविता...
बेटियाँ होती ही ऐसी हैं...........
मैं किस्मत वाला हूँ इस मामले में
सादर ब्लॉगस्ते,
कृपया पधारें व 'एक पत्र फिज़ा चाची के नाम'पर अपनी टिप्पणी के रूप में अपने विचार प्रस्तुत करें।
आपकी प्रतीक्षा में...
सुंदर कविता, मन को छू गइ। वाह!!!!!!!!!!
इलिश जी,
कोई नयी पोस्ट डालें ...अब और कितना इंतजार करवायेगे.....!?!
बहुत ही खुबसूरत लिखा है आपने ! आप एक बहुत ही अच्छे कलाकार है !
Really nice and poignant poem :)
shilpa
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