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क्यूँ हो तुम रुसवा कभी हम समजे ही नही
जिंदगी का हर हिस्सा तुमहारे नाम कर दिया
हम ने हमारे लिए कुछ रखा ही नही
चाही खुशी भी तो हमेशा तेरी खुशी
गम तेरे मेरे हो उसके सीवा कुछ माँगा ही नही
उल्ज़न तेरी सुल्जाने के बड़े अरमान रखे हम ने
सुल्जा सकू इतना पास तुने कभी आने दीया ही नही
जानता हु खुशी ही देना चाहती हो गम के सीवा तुम
दीलबर के गम पाने में खुशी हे तुने ये जन ही नही